शिवराज के लिए आज बहुमत पास करना आसान, 6 माह के अंदर उपचुनाव असल चुनौती




शिवराज के लिए आज बहुमत पास करना आसान 6 माह के अंदर उपचुनाव असल चुनौती

  • मध्य प्रदेश में एक बार फिर शिवराज का राज
  • बीजेपी के लिए 25 सीटों पर उपचुनाव चुनौती

मध्य प्रदेश की सत्ता पर चौथी पर काबिज हुए शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को विधानसभा में विश्वास मत आसानी से भले ही साबित कर लेंगे, लेकिन 6 महीने के अंदर प्रदेश उपचुनाव में कमल खिलाना एक बड़ी चुनौती होगी.




शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मौजूद रहे. उधर, कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बधाई दी.

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, ‘मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और चौथी बार मुख्यमंत्री का पद संभालने पर शिवराज सिंह चौहान जी को हार्दिक बधाई. प्रदेश के विकास प्रगति और उन्नति में मैं सदैव आपके साथ खड़ा हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि आपके नेतृत्व में मप्र विकास के नए आयाम स्थापित करेगा.




मध्य प्रदेश में फिलहाल 25 विधानसभा सीटें रिक्त हैं और शिवराज सिंह के लिए अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए कम से कम 10 सीटें हर हाल में जीतनी होंगी.

एमपी में 25 सीटों पर होगा उपचुनाव

बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें विधायकों के निधन के चलते पहले से ही रिक्त हैं. इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेसी विधायकों और एक बीजेपी विधायक ने इस्तीफा दे दिया था. इस तरह से मध्य प्रदेश में कुल रिक्त सीटें 25 हो चुकी हैं, जिन पर 6 महीने के अंदर चुनाव होने हैं. ऐसे में अब साफ है शिवराज सरकार के सामने 25 सीटों पर उपचुनाव में कमल खिलाने की बड़ी चुनौती है.







उपचुनाव में 10 सीटें जीतने की चुनौती

मध्य प्रदेश विधानसभा में मौजूदा समय में कुल 205 सदस्य हैं. इनमें बीजेपी के पास 106 तो कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं. इसके अलावा 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक हैं. शिवराज सिंह चौहान को फिलहाल चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल हैं.

शिवराज को पार्टी दफ्तर में आयोजित एक बैठक के दौरान मध्य प्रदेश बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था। पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार सीएम बने।  8 दिसंबर 2013 को शिवराज ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी।

इसके अलावा सपा और बसपा विधायक भी बीजेपी खेमे में साथ आ सकते हैं. इस तरह से शिवराज सदन में बहुमत साबित कर लेंगे, लेकिन स्थाई तौर पर सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी को अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा दिलाना होगा.

हालांकि, बीजेपी को अपने दम पर बहुमत पाने के लिए कम से कम से 10 सीटें हार हाल में उपचुनाव में जीतनी होंगी. इसके बाद ही बीजेपी का आंकड़ा 116 पर पहुंचेगा. प्रदेश की जो 25 सीटें रिक्त हुई हैं, उनमें से ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल के हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इसी इलाके से आते हैं.

कांग्रेस भी लगाएगी ताकत

कांग्रेस पूरा जोर लगाएगी कि उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर वह स्पष्ट बहुमत हासिल करे और दोबारा से बड़े दल के रूप में उभरे. मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सरकार की विदाई के बाद ही ट्वीट कर कहा था कि कमलनाथ 15 अगस्त को ध्वजारोहण कर परेड की सलामी लेंगे. ये ‘अल्प विश्राम’ है. इसका मतलब साफ है कि उपचुनाव की जंग कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती होंगी.

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